निर्माण की शिक्षा व्यवस्था

 निर्माण की जो शिक्षा व्यवस्था है वह बिल्कुल नई शिक्षा नीति 2020 से , मिलती - जुलती है । शिक्षा मंत्रालय जिस नीति को अब लागू करने जा रहा है , उसे निर्माण संस्था पिछले 30 सालों से अपने अध्यापन कार्य में प्रयोग कर रही है। इस संस्था की नींव1990 में रखी गई थी तब से ही यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित बिंदुओं पर लागातार कार्यरत है । जैसे :-
1) 3-6 साल तक के बच्चों के लिए केयर एवं एजुकेशन की एक अलग तरह की शिक्षा व्यवस्था है और उनका अलग तरह का पाठ्यक्रम है, इसके अन्तर्गत उन्हें उनके वातावरण के प्रति जागरूक किया जाता है, उन्हें उनकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है, ये भी सिखाया जाता है कि उन्हें अपनी बात कैसे दूसरों के सामने रखनी है? अपने शरीर और अपने सामान की कैसे देखभाल करना है ? किस तरह से और क्या खाएं कि वे स्वस्थ एवं मजबूत बने। इस उम्र के बच्चों के साथ इस प्रकार से कार्य किया जाता है कि उनकी हाथ की उंगलियों और आंखों का कोर्डिनेशन अच्छा हो सके। इसके लिए उन्हें तरह - तरह के खेल और क्रिया-कलाप कराये जाते हैं। उनकी उंगलियों की मांसपेशियां सही प्रकार से विकसित हों इसलिए उन्हें पेन्सिल का प्रयोग न करा कर मोम कलर से कार्य कराया जाता है।


2) निर्माण संस्था में बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था ही इस प्रकार से की गई है कि उनमें नये - नये कौशल का विकास हो सके। कक्षा -१ से ही उन्हें विभिन्न कौशलों से परिचित करा दिया जाता है , जैसे :- रिसर्च करना, किसी का इंटरव्यू लेना, क्रियात्मक लेख, फ्री ड्राइंग, क्राफ्टवर्क, बागवानी आदि। उन्हें विभिन्न प्रकार की जिम्मेदारियां देकर लीडरशिप के गुण भी सिखा  देते हैं। जिम्मेदार बनाने के लिए उनको विद्यालय में अपने सामान को कहां रखना है , इसे कक्षाअध्यापिका सीखाती है, इसके लिए हर कक्षा में काॅपी-किताब, पानी की बोतल, टिफिन रखने की एक निश्चित जगह बनाई जाती है, जहां बच्चे इसे रखकर रोज़ अपना बैग खाली कर देते हैं और छुट्टी के बाद वापस इसे अपने बैग में रखते हैं। इस तरह से उन्हें बचपन से ही जिम्मेदार बनने की शिक्षा दी जाती है। इसी प्रकार रोज़ हर बच्चा कक्षा के बाहर ही अपना जूता-मोजा उतार कर कक्षा में प्रवेश करता है, इसके द्वारा वह अपने जूतों को लाईन में रखना और जूते की लेस बांधना सीखते हैं।

3) एक्सट्रा करिकुलम एक्टविटिज- मेन करिकुलम शामिल:- इसके अनुसार भी निर्माण में अध्यापन कार्य के लिए जो भी कार्ययोजना बनाई जाती है, उसी के साथ ही एक्सट्रा करिकुलम एक्टविटिज भी जोड़ दी जाती है , जैसे आर्ट, म्यूजिक, डांस, रिसर्च, नाटक, भ्रमण आदि। इन क्रियाकलापों के बिना निर्माण में कार्ययोजना अधूरी मानी जाती है।

4) रिपोर्टकार्ड में लाइफ स्किल शामिल:- इसके तहत भी निर्माण में रिपोर्टकार्ड  भी कई सालों से  इसी प्रकार प्रयोग किया जा रहा है, इसमें लाइफ स्किल के कई काॅलम होते ही हैं, जैसे कि म्यूजिक, डांस, योगा, थियेटर, कराटे, स्पोर्ट्स, सिलाई- कढ़ाई आदि ।


5) स्कूल के बाद वयस्क शिक्षा एवं लाईब्रेरी:- इस नीति के अनुसार भी निर्माण में एक बहुत बड़ी और अच्छी लाइब्रेरी है, जिसमें हर प्रकार और हर लेवल की पुस्तकें हैं। इस लाइब्रेरी में कोई भी बाहरी विद्यार्थी या पढ़ने का इच्छुक व्यक्ति आकर पढ़ सकता है, यह सबके लिए खुली हुई है, इसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। इसका बस एक ही मकसद है कि लोगों में पुस्तक के प्रति प्रेम और अध्ययन में रूचि पैदा हो सके । इसी प्रकार वयस्को के लिए भी शिक्षा की व्यवस्था है , स्कूल के बाद सुचारू रूप से उनकी कक्षा चलती है और उनके लेवल के अनुसार उन्हें पढ़ाया जाता है। व्यस्कों में यहां पर नान टीचिंग स्टाफ को भी शिक्षित किया जाता है, जो जिस लेवल का होता है , उसे उसकी आगे की शिक्षा दी जाती है।


6) स्कूल लेवल पर वोकेशनल स्टडी पर फोकस:- इस नई शिक्षा नीति के अनुसार निर्माण संस्था में 30 सालों से वोकेशनल स्टडी पर फोकस किया जा रहा है। जैसे बागवानी, सिलाई -कढ़ाई, बढ़ईगिरी, कुकिंग आदि। इन सबकी कक्षाएं सप्ताह में एक दिन अवश्य रखी जाती है, ये उनके टाइम टेबल में लिखा रहता है और नियमित रूप से इन सबकी कक्षाएं संचालित होती हैं।

7) बैगलेस पिरियड (10दिन)  :-  इस नई शिक्षा नीति के अनुसार भी निर्माण संस्था पिछले कई सालों से कार्य करता चला आ रहा है , इस कार्य के लिए विद्यालय में जाड़े के दिनों में आर्ट कैंप लगाया जाता है, जिसमें बच्चों को 4 - 5 दिन तक स्कूल में ही रहना होता है उस दौरान बच्चे को बहुत ही नियोजित तरीके से वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है, जैसे - मिट्टी के बर्तन बनाना, बांस की डलिया बनाना, चारपाई बनाना, स्वेटर बनाना, थियेटर, खाना बनाना आदि प्रकार के स्किल सीखाये जाते हैं। यह बहुत उपयोगी होता है बच्चे बहुत कुछ आनंद के साथ सीखते हैं। इसी प्रकार साल में चार से छह दिन ऐसा अवसर आता है, जबकि बच्चे बिना बैग के आते हैं और तमाम तरह की कलाएं सीखते हैं और अपनी हाथ से बनी हुई चीजों का प्रदर्शन करते हैं।


8) बैग का बोझ कम:- इसके अनुसार भी निर्माण में बैग का बोझ कम से कम ही रखने की कोशिश की जाती है जिसमें बच्चों की काॅपी-किताब स्कूल में ही रखने की व्यवस्था है, उन्हें वही काॅपी-किताब घर ले जाने की अनुमति दी जाती है , जिसमें कि गृहकार्य मिला हो। गृहकार्य भी बहुत ही सुनियोजित तरीके से ही दिया जाता है। यह पहले से ही निश्चित होता है कि एक दिन में किन-किन विषयों का और कितना गृहकार्य दिया जायेगा।


9) शिक्षा का माध्यम स्थानिय/क्षेत्रिय भाषा में होगा:- इस नीति के तहत भी निर्माण संस्था में नियम है कि अगर कोई बच्चा अपनी क्षेत्रीय भाषा में जबाव देता है या फिर उत्तर लिखता है तो उसे टोका नहीं जाता है और न ही उसे मना किया है, वह अपनी भाषा में अपनी बात को व्यक्त कर सकता है। यह एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल है इसलिए अंग्रेजी भाषा के साथ -साथ अन्य भाषाओं को भी उसी प्रकार महत्व दिया जाता है, जैसे कि अंग्रेजी को। समय-समय पर बच्चे नाटक, लेखन, नृत्य-संगीत आदि के माध्यम से अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी सीखते रहते हैं।


10) सभी चरणों में प्रायोगिक परीक्षा:- निर्माण में प्रत्येक सत्र में सभी विषयों में सिर्फ लिखित परीक्षा न होकर बल्कि साथ-साथ प्रायोगिक परीक्षा भी ली जाती है।


11) सामग्री विचार- अनुप्रयोग, समस्या समाधान पर केन्द्रित होगी:- निर्माण संस्था में शिक्षा व्यवस्था ही इस प्रकार की गई है कि वह समस्या समाधान पर केन्द्रित हो। बच्चों को पढ़ाने की पद्धति और उन्हें प्रश्न-उत्तर लिखने का तरीका, परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न-पत्र इस प्रकार तैयार किए जाते हैं कि वे उसका उत्तर अपने जीवन से जोड़ कर प्रश्नों के उत्तर लिख पायें और वे उसे अपने जीवन से जोड़ कर भविष्य में आने वाली समस्या को सुलझा सकें


12) पाठ्य पुस्तक सामग्री को कम करना:-  निर्माण संस्था में एन.सी.आर.टी. की ही पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं लेकिन इसके साथ -साथ अन्य बहुत सारी चीजों को जोड़ने और कुछ टाॅपिक को टीचर कम करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। यहां पर इस बात पर ज़ोर नहीं दिया जाता है कि किसी भी तरह करके  कोर्स पूरा हो जाये बल्कि इस बात पर जोर दिया जाता है कि जो बच्चे को पढ़ाया गया है, उसे वह अच्छी तरह से समझ पाये और अपने जीवन में प्रयोग कर सकें।


13) पोषण और स्वास्थ्य कार्ड, स्कूल के छात्रों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच :- इस नई शिक्षा नीति के तहत हम यह बताना चाहेंगे कि निर्माण संस्था में एडमिशन के समय ही अभिभावकों से बच्चे का मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा जाता है और फिर उसी के अनुसार उसकी शिक्षा व्यवस्था की जाती है। समय- समय पर उसके अभिभावक से भी हेल्थ के बारे में बात करते रहते हैं। डॉक्टर को बुला कर स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाते हैं। इस विषय पर अभिभावकों के लिए वर्कशॉप आयोजित करते हैं, जिसमें यह बताया जाता है कि किस प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर चीजें बच्चों के आहार में शामिल करना चाहिए और उनके घर की दिनचर्या किस प्रकार होनी चाहिए जिससे कि बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहे। स्कूल में भी उन्हें रोज़ कोई भी एक मौसमी फल खाने के लिए  प्रोत्साहित किया जाता है और उसे खाने के लिए स्कूल में ही समय निर्धारित कर दिया जाता है, जिससे कि वे स्वस्थ रह सकें। इसी के साथ -साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि क्या वे टिफिन लाते हैं और क्या लाते हैं , ठीक से खाते हैं कि नहीं ये सारी चीजें नियमित रूप से चेक की जाती हैं। जो बच्चे टिफिन नहीं ला पाते हैं उन्हें स्कूल से ताजा पोषण युक्त भोजन दिया जाता है।


                     इस प्रकार से देखा जाए तो निर्माण संस्था  बहुत समय पहले से ही नई शिक्षा नीति के नियमों का पालन कर रही है और उसमें वह सफल भी हुई है ,इसका हमारे पास प्रमाण भी है क्योंकि जो बच्चे इस संस्था से पढ़ कर निकलें हैं वे अपने क्षेत्र में सफल हैं और बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं।

सुनीता त्रिपाठी

Comments

  1. बहुत सुन्दर एवं प्रभावी आलेख । विद्यालय के उद्देश्य और कार्यप्रणाली का विशद वर्णन सारगर्भित तथा जनोपयोगी है । भविष्य में इसी तरह लिखते रहो ।निरतंर निखार आएगा । शुभ कामनाएं एवं स्नेहपूर्ण आशीर्वाद ।

    ReplyDelete
  2. Such a great helpful and informative content please keep it like it! you are doing an Excellience job.
    Best hotels in Mussoorie
    Top 10 Amazing place to visit in france 2020

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छा इस विद्यालय का यह सारगर्भित लेख है भविष्य में इसे इसे भविष्य में और अच्छे से आगे निर्माण क्लास किया जाए

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर है।

    ReplyDelete
  5. Such a great work all points are good, keep it up nice job

    ReplyDelete
  6. Nice blog! To be able to do printing online on an item has many advantages. printing online

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular Posts